ऋतु के अनुसार खान पान/ ऋतु के अनुसार परहेज व सावधानिय
साल में छह ऋतु आती हैं| बसंत रितु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु ,हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु |मौसम और ऋतु के अनुसार खाने पीने से एवं कपड़े पहनने से हम लोगों से बचे रह सकते हैं और दीर्घ जीवन प्राप्त कर सकते हैं| तो आइए जानते हैं कि हमें किस ऋतु में किस प्रकार का खान-पान, परहेज और सावधानियां बरतनी चाहिए|
बसंत ऋतु ( मार्च- अप्रैल)
1. इस मौसम में ठंड कम होने लगती है| कहीं जगह पर गर्मी भी आ जाती है|2. जैसे जैसे गर्मी बढ़ती है हमारा भोजन को पचाने की ताकत कम हो जाती है|
3.सर्दियों में खाए जाने वाले भोजन को लगभग प्रयोग में कम कर देना चाहिए|
4. इस ऋतु में कफ जैसे रोगों की आशंका बनी रहती है|
5. जो और गेहूं से बनी रोटी का सेवन करना चाहिए|
6. दालों और सब्जियों में सोंठ और काली मिर्च का तड़का लगाना चाहिए|
7. इस ऋतु में दही का सेवन नहीं करना चाहिए|
8. रोज सुबह योग और walk करें|
9. दिन में सोना बंद कर दें|
10. दिन में दो बार गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद व चुटकी भर काली मिर्च मिलाकर पिए|
बताए गए नुस्खों से आपकी शरीर में एनर्जी बनी रहेगी और बीमारियां भी नहीं लगेंगी|
ग्रीष्म ऋतु( मई- जून)
1. इस ऋतु में गर्मी बहुत बढ़ जाती है|2. इस ऋतु में Air Accumulation की प्रॉब्लम रहती है| क्योंकि हम अधिक ठंडी चीजों का सेवन करने लगते हैं|
3. इस ऋतु में दूध, लस्सी, नींबू पानी, नारियल पानी, अनार ,मौसमी , गन्ने आदि फलों के रस का सेवन करना चाहिए|
4. दोपहर के भोजन में चावल के साथ चक्कर, बूरा चीनी एवं दाल खानी चाहिए|
5. इस ऋतु में घीया, तोरी ,पेठा आदि सब्जियां खानी चाहिए|
6. रात के भोजन में मसालों का प्रयोग ना के बराबर करें|
7. प्रतिदिन प्याज, पुदीना, अनार, धनिया, टमाटर आदि की चटनी का प्रयोग करना चाहिए|
8. सूती कपड़े पहने व धूप से बचें|
9. मच्छरों से बचने के लिए पूरी बाजू वाले कपड़ों का प्रयोग करें|
10. ज्यादा मच्छर हो तो घर में नीम, कपूर आदि सामग्री से धुआं करें|
वर्षा ऋतु( जुलाई- अगस्त)
1. इस मौसम में बरसात होने की वजह से हवा में नमी बनी रहती है|2. पेट के रोगों की संभावना बढ़ जाती है|
3. इस मौसम में हल्का एवं जल्दी पचने वाला भोजन खाना चाहिए|
4. सब्जी में जीरा, हींग, लहसुन, एवं काली मिर्च का तड़का अवश्य लगाएं|
5. दाल, खिचड़ी, दलिया, हरी सब्जियों का प्रयोग करें|
6. खाद्य पदार्थ, बर्फ आइसक्रीम आदि का प्रयोग ना करें
7. दिन में दो बार नींबू पानी का प्रयोग करें|
8. इस मौसम में देर रात तक जागना व दिन में सोना हानिकारक है|
9. हमेशा सूती कपड़े ही पहने|
10. बाहर का खाना ना खाएं|
शरद ऋतु( सितंबर- अक्टूबर)
1. इस मौसम में नमी कम होने लगती है और शुष्कता बढ़ने लगती है|2. गर्मी में पित्त को शांत करने वाले आहार लेनी चाहिए|
3.इस मौसम में पित्त बढ़ जाता है| इसलिए हमें ऐसी चीजें नहीं खानी चाहिए जिससे शरीर में एसिड बने|
4. दूध से बने पदार्थों का प्रयोग करें|
5.इस मौसम में अधिक वसा वाले पदार्थों का सेवन कर सकते हैं|
6. सब्जियां जैसे लौकी, पेठा, करेला, तोरी आदि का प्रयोग करें|
7. इस ऋतु में प्रतिदिन आंवले का सेवन करें|
8. छाछ और मट्ठे से परहेज करें|
9. नहाने के लिए चंदन व नीम के साबुन का प्रयोग करें|
10. इस ऋतु में सुबह के वक्त खीर खाना अच्छा रहता है|
हेमंत ऋतु( नवंबर- दिसंबर)
1. किस ऋतु में ठंड पड़नी शुरू हो जाती है|2.इस ऋतु में उदर संबंधी रोगों के होने की संभावना रहती है|
3. इस मौसम में अधिक भूख लगती है|
4.भरपेट भोजन में गेहूं की रोटी, दही, मौसम अनुसार सब्जियां खाएं|
5. दूध, दही, मलाई, गुड व तिल से बने पदार्थ, मक्का, बाजरा, सूखे मेवे आदि का सेवन करें |
6. ठंडी हवा से बचने के लिए शरीर पर गर्म कपड़ों के साथ जुराबे टोपी का भी इइसस्तेमाल करें|
7. यथाशक्ति व्यायाम करें वह दिन में ना सोए|
8.क्योंकि इस ऋतु में त्वचा शुष्क होने लगती है इसलिए नहाने के बाद त्वचा पर तेल या मॉइस्चराइजर लगाएं|
9. ठंडा फ्रिज का पानी बिल्कुल ना पिए|
10,नहाने के लिए आप हल्के गर्म पानी का प्रयोग कर सकते हैं|
शिशिर ऋतु( जनवरी- फरवरी)
1. इस ऋतु में अत्यधिक ठंड बढ़ जाती है|2. पाचन क्रिया तेज होने से भोजन शीघ्र पच जाता है |
3. इस ऋतु में सेंधा नमक ,मूंग की दाल की खिचड़ी ,अदरक एवं गर्म प्रकृति वाले भोजन का सेवन करना चाहिए|
4. ठंडे मौसम में बादी प्रकृति के भोजन से परहेज करें|
5. ठंडी चीजों से परहेज रखें|
6. गरम कपड़े पहने| बाहर जाते समय पैरों और सर को ढककर जाएं|
7. नहाने के बाद तेल का प्रयोग अवश्य करें ताकि आपकी त्वचा शुष्क ना रहे|
8. इस मौसम में कब्ज की समस्या अधिक रहती है |इसलिए भोजन के पश्चात जीरा पाउडर खाने से आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है|
9. मीठे में गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन करें| आप खाने के बाद मीठे में गुड़ का प्रयोग भी कर सकते हैं|
10. इस ऋतु में शरीर के विभिन्न अंग जैसे होठ, एड़ियां, आदि फट जाती है| इसके लिए नमी बनाए रखने के लिए आप इन जगहों पर तेल और क्रीम का प्रयोग करें|
उपरोक्त में जो रितु चर्या बताई गई है वह सामान्य रूप से प्रयोग में लाई जा सकती है| जब रितु बदल रही हो तो उस समय पहली रितु चर्या को धीरे-धीरे छोड़ें और अगली ऋतु के खान-पान और रहन-सहन को धीरे-धीरे अपनाएं| मौसम के अनुसार खाने पीने एवं कपड़े पहनने से आप अनेक रोगों से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं|
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